बेटा: मां मैंने ख्वाब विच देखया के मेरा एक पैर जमीन ते है ते दूजा आसमान ते।
मां: इस तरह दे ख्वाब न वेख्या कर, gaand फट जानी है तेरी।
बचपन में मैं भी जब कोई गलती कर देता था और पिटने के आसार नजर आने लगते थे तो तुरंत किताब खोल के बैठ जाता था! वो बात अलग है कि कुटाई फिर भी होती थी। - जामिया लाइब्रेरी कांड