Ek aadmi jor jor se chilla raha tha. "NAAG ka Pinjra 20 Rs me" "NAAG ka Pinjra 20 Rs me" Logo ne paas jaakar dekha.. To kamina UNDERWEAR bech raha tha...:-):)
बचपन में मैं भी जब कोई गलती कर देता था और पिटने के आसार नजर आने लगते थे तो तुरंत किताब खोल के बैठ जाता था! वो बात अलग है कि कुटाई फिर भी होती थी। - जामिया लाइब्रेरी कांड