वो कपड़े उतारने को मोहब्बत समझ रही थी
हमने उसको दुपट्टा देकर उसका नजरिया बदल दिया 🙂
बचपन में मैं भी जब कोई गलती कर देता था और पिटने के आसार नजर आने लगते थे तो तुरंत किताब खोल के बैठ जाता था! वो बात अलग है कि कुटाई फिर भी होती थी। - जामिया लाइब्रेरी कांड