निगाहें आज भी उस आंटी को ढूंढ रही है जो बचपन में घर आती थी और बोलती थी कि मेरी बेटी पिंकी की शादी इस से करूँगी....
बचपन में मैं भी जब कोई गलती कर देता था और पिटने के आसार नजर आने लगते थे तो तुरंत किताब खोल के बैठ जाता था! वो बात अलग है कि कुटाई फिर भी होती थी। - जामिया लाइब्रेरी कांड