शुद्ध_हिंदी भी कम विचित्र नहीं है . . .
किसी आदमी को डांटते हुए आम हिंदी भाषा में कहें
"सूअर के बच्चें.. चुल्लू भर पानी में डूब मर"
तो वह भड़क उठेगा
अगर यहीं वाक्य शुद्ध हिंदी भाषा में कहें
"हे वराह पुत्र, अंजुलीभर जल में निमग्न हो जा !
तो हो सकता है वह कहे, जी सर !"
बचपन में मैं भी जब कोई गलती कर देता था और पिटने के आसार नजर आने लगते थे तो तुरंत किताब खोल के बैठ जाता था! वो बात अलग है कि कुटाई फिर भी होती थी। - जामिया लाइब्रेरी कांड