समय आ गया है कि डाक्टर के साथ सेना का एक जवान भी हो
*ताकि मरीज को भी तो विकल्प मिले कि उसे कौन सी गोली खानी है*
बचपन में मैं भी जब कोई गलती कर देता था और पिटने के आसार नजर आने लगते थे तो तुरंत किताब खोल के बैठ जाता था! वो बात अलग है कि कुटाई फिर भी होती थी। - जामिया लाइब्रेरी कांड